Sadhguru - अच्छे लोगो के दुख का ये है कारण



 हेलो दोस्तों हमें अक्सर यह शिकायत रहती है कि हम तो बहुत अच्छे लोग हैं हमने आज तक किसी के साथ कुछ भी बुरा नहीं किया परंतु फिर भी हमारे साथ बुरा क्यों होता है जबकि बुरे लोग आसानी से अपना जीवन यापन करते हैं और ऐसा लगता है कि उनमें समस्त बुराई होने के बावजूद भी में बहुत खुश हैं और उन्हें किसी भी प्रकार की सामाजिक और आर्थिक परेशानी नहीं है। ऐसे में हमें अक्सर शिकायत रहती है कि हमें अच्छे बनने की बजाय हम बुरा ही बने तो तभी ठीक रहता ताकि हम भी और लोगों की तरह आसानी से और बड़ी आरामदायक ढंग से अपना जीवन व्यतीत कर पाते।

ऐसे प्रश्न हम बार-बार अपने मन में पूछते रहते हैं जब भी हम किसी महात्मा व्यक्ति को देखते हैं तो अक्सर हम अपने इन्हीं प्रश्नों को लेकर उनसे उत्तर जानने की इच्छा रखते हैं वैसे तो इस प्रश्न का उत्तर अलग-अलग महात्माओं के द्वारा अलग-अलग रूप से दिया जाता रहा है परंतु आज हम इसमें सद्गुरु जी इस विषय में क्या कहते हैं आपको उसके बारे में बताएंगे जब उनसे यह प्रश्न पूछा गया तो उन्होंने इसका जवाब देते हुए कहा।

Sadhguru ने क्या कहा-  अच्छे लोग क्यों दुखी रहते है

एक इंटरव्यू में जब सद्गुरु जी से यह प्रश्न किया गया की बहुत सारे अच्छे लोग हैं और उन्हें यह शिकायत रहती है कि मैं जितने ज्यादा अच्छे हैं उन्हें उतने ही अत्यधिक दुखों का सामना करना पड़ता है प्रश्न का जवाब देते हुए सद्गुरु जी कहते हैं कि हम किस आधार पर अपने अच्छे होने का चुनाव करते है।
अक्सर जो व्यक्ति अपने आप को अच्छे कहते हैं वह देखते हैं किस व्यक्ति में क्या-क्या बुराई है अक्सर में लोग उन व्यक्तियों की अच्छाइयों की तरफ ध्यान ने देकर सिर्फ उनकी बुराइयों की तरफ ध्यान देते हैं और इस आधार पर वह अपने आप को कुछ विशेषताओं के माध्यम से अपने आप को अच्छा और उसे व्यक्ति को बुरा ठहरा देते हैं यही से उसे व्यक्ति के दुख का कारण होता है। गुरु जी कहते हैं कि हमें कभी भी किसी व्यक्ति के सिर्फ एक पहलू को देखकर नहीं रखना चाहिए हमें उसे व्यक्ति के हर पहलू की तरफ ध्यान देकर ही इस बात का चयन करना चाहिए कि हम अच्छे हैं या नहीं किसी भी अच्छा या बुराई का चुनाव कंपैरिजन के आधार पर होता है। हम जैसे-जैसे अपने को काफी अच्छा करने लगते हैं हमें पूरी की पूरी दुनिया में बुराई ही बुराई नजर आने लगती है जो अक्सर अच्छे लोगों के दुख का कारण बनती है। हमेशा तुलना करते रहते हैं और देखते हैं कि इस व्यक्ति में यह बुराई है उसे व्यक्ति में वह बुराई है उम्मीद सिर्फ दूसरे व्यक्तियों की बुराई को देखकर ही दुखी होते रहते हैं। इस स्थिति से बाहर निकालने के लिए गुरुजी उपाय बताते हैं कि आप दूसरे व्यक्तियों में अच्छाई देखने शुरू कर दें इससे आपको उन व्यक्तियों से अंदर ही अंदर प्रेम की अनुभूति होती है जिससे आपको पूरी दुनिया बहुत ही प्यारी लगने लगती है और आपका मन भी हमेशा प्रश्न रहने लगता है।

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